2015-16 से 2020-21 के मध्य उत्तर प्रदेश के शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद में वार्षिक चक्रवृद्धि दर 8.42 प्रतिशत रही। राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी कोविड19 का नकारात्मक असर पड़ा है और वित्त वर्ष 2020-21 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 6.4 प्रतिशत की कमी आयी, जबकि वर्ष 2019-20 में भी संवृद्धि दर मात्र 3.8 प्रतिशत थी। सबसे ज्यादा चिंता की बात राज्य के विनिर्माण क्षेत्र में आई गिरावट है जोकि 2019-20 में – 3.5 प्रतिशत और 2020-21 में – 5.4 प्रतिशत थी। राज्य सरकार के अनुसार 2020- 21 में प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 19,40,527 करोड रुपए हो जाने का अनुमान है यह 22 फरवरी 2021 को राज्य के 2021 2022 के बजट अनुमान से काफी अधिक है, बजट अनुमान 17,91,263 करोड रुपए का था। हांलाकि 2020-21 में कृषि क्षेत्र में 6.2 प्रतिशत के महत्वपूर्ण वृद्धि हुई।
प्रदेश में दुग्ध उत्पादन, खाद्यान्न, बागवानी इत्यादि संसाधनों, नीतिगत प्रोत्साहन, आधारिक संरचना और यहां की जलवायु को देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की काफी संभावनाएं हैं जिसका अब तक दोहन नहीं हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि आधारित व खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, इंजीनियरिंग वस्तुएं, खेल वस्तुएं, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, बायो टेक्नोलॉजी, पर्यटन इत्यादि के लिए यहां बहुत संभावनाएं है। राज्य में 6 हवाई अड्डे, 48 राष्ट्रीय राजमार्ग और सभी प्रमुख शहरों से जोड़ती हुई रेल सेवा है। पिछले कुछ वर्षों में आधारिक संरचना की वृद्धि दर काफी ऊँची रही है।
राज्य के कई जिलों में स्थानीय रूप से विशिष्टीकृत व्यवसाय क्लस्टर है जैसे मेरठ में खेल के सामानों का, मुरादाबाद में पीतल का, कन्नौज में इत्र का, कानपुर में चमड़े का, आगरा में जूते का, वाराणसी में साड़ियों का, भदोही में कारपेट का, लखनऊ में चिकन वर्क इत्यादि। ‘एक जिला एक कार्यक्रम’ उत्पाद के अंतर्गत इन उद्योगों को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ पूरे प्रदेश में स्थानीय स्तर के उद्योगों को बहुत बढ़ावा मिला है। उत्तर प्रदेश में कपड़ा और हैंडलूम उद्योग को भी बढ़ावा देने के लिए सरकार में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। यह क्षेत्र स्थानीय कारीगरों को मौका देने और रोजगार बढ़ाने के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है।
योगी सरकार की निवेश अनुकूल नीतियाँ
कोविड से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सुधारने और रोजगार बढ़ाने के लिए भी राज्य ने पिछले कुछ महीनों में अनेक नई नीतियां शुरू की गई है जिससे कि निवेश को प्रोत्साहन मिले। पिछड़े क्षेत्रों के लिए पोस्ट कोविड एक्सीलेरेटेड निवेश प्रोत्साहन नीति के अंतर्गत पूर्वांचल, मध्यांचल और बुंदेलखंड में विकास के केंद्र बनाने के लिए अनेक प्रोत्साहन दिए गए। स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 2018 में “एक जिला एक उत्पाद” (ओडीओपी) के जिस फ्लैगशीप कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी, इसके तहत सरकार मार्केटिंग सहायता, तकनीकी और कौशल उन्नयन सहायता, प्रशिक्षण और आसान ऋण उपलब्ध कराने जैसी सुविधाएं मुहैया कराती है। राज्य ने 20,000 एकड़ का एक औद्योगिक भूमि बैंक भी विकसित किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना अपनी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल किया था। फरवरी 2018 में एक भव्य इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया। इसमें देश के सभी प्रमुख औद्योगिक घरानों के मुखिया आए और 4.28 लाख करोड़ रुपये के 1045 निवेश प्रस्ताव सरकार को सौपे थे। इसके बाद मुख्यमंत्री ने लगभग दर्जन भर अलग-अलग विभागों की नीतियां बनवाईं। इसके अलावा प्रदेश में कानून व्यवस्था और बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने पर काम किया। यहीं नहीं विभिन्न क्षेत्रों में रिकॉर्ड लगभग 200 सुधारों को लागू किया गया।
राज्य में उद्योग और सेवा क्षेत्र निवेश नीति 2004 और आधारिक संरचना और औद्योगिक निवेश नीति 2012 के अंतर्गत राज्य सरकार ने लोगों को कई प्रकार की सब्सिडी और नीतिगत तथा राजकोषीय प्रोत्साहन दिया है। योगी सरकार ने क्षेत्र विशेष नीतियां भी घोषित की, जैसे सूचना प्रौद्योगिकी और बायोटेक्नोलॉजी नीति, सिविल एविएशन प्रोत्साहन नीति 2017, उत्तर प्रदेश स्टार्ट अप नीति 2020, कोविड19 के परिप्रेक्ष्य में निवेश प्रोत्साहन नीति 2020, यूपी डेटा सेंटर नीति 2021 इत्यादि।
‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’!
सरकार ने राज्य में व्यापार को आसान बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुधार किया है। डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्रीज एंड इंटरनल ट्रेड में प्रकाशित बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान में उत्तर प्रदेश की रैंकिंग पिछले 3 वर्षों में बारहवें स्थान से उछल कर दूसरे स्थान पर आ गई ।इस ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ इंडेक्स में यह सुधार बेहद महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि इसके कारण राज्य में निवेश में वृद्धि हुई है। राज्य में एकल खिड़की पोर्टल और निवेश मित्र को लागू किया गया जो उद्यमियों को 166 सेवाएं प्रदान करता है और निवेश के आवेदनों पर अब काफी शीघ्रता से कार्यवाही होती है।
सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 के तीसरे क्वार्टर में देश के कुल निवेश का सबसे अधिक तमिलनाडु में, लगभग 16 प्रतिशत, हुआ, जबकि इज ऑफ डूइंग बिजनेस में इसकी रैंकिंग 14 है। दूसरा स्थान महाराष्ट्र का है जिसकी रैंकिंग 13 है जबकि यहां 9.8 प्रतिशत निवेश आया। उत्तर प्रदेश में 5.3 प्रतिशत निवेश हुआ जबकि इसकी रैंकिंग दूसरी है। भारत के सबसे अधिक निवेश अनुकूल राज्यों और सबसे अधिक निवेश आकर्षित करने में सीधा संबंध दिख नहीं रहा है। स्पष्ट है कि इज ऑफ डूइंग बिजनेस के अतिरिक्त भी बहुत सारे कारक हैं जो कि निवेश बढ़ाने के हिसाब से महत्वपूर्ण है। वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो 2014 में भारत की रैंकिंग 142 थी, जोकि सुधर कर अब 63 वीं हो गई है लेकिन पहले भी भारत विश्व में 9 वां सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करने वाला देश था, अब भी इसका वही स्थान है।
स्पष्ट है कि निवेशक वहां जाते हैं जहां उन्हें संभावनाएं दिखती हैं और जहां आधारिक संरचना बेहतर होती है। अच्छी सड़के, बाजार, एयरपोर्ट, बंदरगाह इत्यादि विश्वस्तरीय हों और देसी तथा विदेशी बाजार तक पहुंच आसान हो, जहां से कच्चे माल व अन्य महत्वपूर्ण आपूर्ति संभव हो। मानव संसाधन योग्य और शिक्षित हो और आसानी से उपलब्ध हो तथा लागत भी एक महत्वपूर्ण कारक है। भूमि की उपलब्धता, बिजली और श्रम की उपलब्धता के साथ इनकी लागत कम होना भी महत्वपूर्ण है। योगी सरकार ने प्रदेश में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए काफी कार्य किया है। कनेक्टिविटी बढ़ी है, इकोसिस्टम मजबूत हुआ है। परंतु अभी भी कुछ महत्वपूर्ण कारक हैं जो कि निवेश को बड़े पैमाने पर आकर्षित करने के लिए अवरोध उत्पन्न करते है जैसे योग्य और दक्ष मानवशक्ति की कमी, बिजली की सस्ती दरें, व्यवसाय मित्र कर प्रणाली, एक सहायक कार्यकारी वातावरण ।
जमीनी स्तर पर आधारिक संरचना के अपर्याप्त होने पर बड़े निवेशक जितना निवेश करने का दावा करते हैं निवेश नहीं करते हैं। इसीलिए प्रदेश में वास्तविक निवेश कुल प्रस्तावित निवेश का लगभग एक तिहाई ही रहा है।
आधारभूत संरचना में सुधार के लिए कदम
योगी जी ने सरकार के 4 वर्ष पूरे होने पर कहा था कि उत्तर प्रदेश देश के विकास इंजन के रूप में उभर रहा है और उनका उद्देश्य है कि सकल राज्य उत्पाद के रूप में उत्तर प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया जाय। 4 वर्षों में से योगी सरकार के लगभग डेढ़ वर्ष कोविड19 महामारी के प्रबंधन में चला गया। पिछले कुछ एक वर्षों में योगी सरकार ने प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और महामारी से लोगों की रक्षा करने के लिए काफी सक्रियता से प्रयास किया है। कोविड-19 की पहली लहर में मुख्यमंत्री की सक्रियता ने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को कोविड-19 के संक्रमण से बचा लिया। लेकिन दूसरी लहर की शुरुआत में लोग अव्यवस्था के शिकार हुए और इससे काफी लोगों की जानें गयीं। लेकिन बाद के दिनों में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने संक्रमण रोकने और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए। हालाँकि फिर भी अव्यवस्था, स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही और लोगों के डर से पैनिक होने का कारण लोग मरते रहे।
वैसे 4 वर्षों में योगी सरकार द्वारा आधारिक संरचना को मजबूत करने और निवेश का उचित माहौल बनाने में किया गया प्रयास बेहद सराहनीय रहा है। योगी सरकार के आने से पूर्व प्रदेश में गांव की सड़कों की हालत काफी जर्जर हो चुकी थी। योगी सरकार ने लगभग 15,000 किलोमीटर लंबे सड़क नेटवर्क का ग्रामीण क्षेत्र में विस्तार किया और 250 लोगों से अधिक की जनसंख्या वाले 2,275 बस्तियों को सीधे मुख्य सड़क मार्ग से जोड़ा।
योगी सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में पिछले 4 वर्षों में बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की स्थिति प्राप्त कर ली है। प्रदेश के पावर ट्रांसमिशन क्षमता में महत्वपूर्ण उछाल आया है। 4 वर्षों के दौरान ट्रांसमिशन क्षमता में 53% की बढ़ोतरी हुई है ट्रांसमिशन क्षमता 25000 मेगावाट तक पहुंच गई अभी भी प्रदेश में 6100 करोड रुपए की लागत से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के द्वारा अनेक पावर ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।
योगी सरकार में कनेक्टिविटी और आधारिक संरचना के साथ-साथ लागत के मुद्दे को भी ध्यान में रखकर अनेक कदम उठाए। सितंबर 2020 में इन्वेस्ट यूपी समिति में मेरठ में औद्योगिक जोन स्थापित करने से लेकर अनेक महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा मुख्यमंत्री ने की। जून 2020 में फिक्की द्वारा आयोजित एक वेबीनार में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश में हुए नीतिगत सुधारों पर जोर देते हुए सड़क और वायु कनेक्टिविटी बढ़ाने तथा भूमि उपलब्धता के संदर्भ में भी उद्यमियों को आश्वस्त किया। इस समय प्रदेश के पास 20000 एकड़ से अधिक का भूमि बैंक है। जेवर ग्रीन फील्ड अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, मेरठ प्रयागराज एक्सप्रेस वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जैसे प्रोजेक्ट से भी प्रदेश में कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
सरकार ने अयोध्या में 400 करोड़ रुपए की लागत से एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के बस अड्डे का निर्माण चलाने का प्रस्ताव किया है इस बस अड्डे पर राम मंदिर के दर्शनार्थियों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। अयोध्या सुल्तानपुर मार्ग पर फोरलेन फ्लाईओवर का भी निर्माण किया जाएगा। राज्य सरकार ने बजट की कठिनाई को देखते हुए भी आधारिक संरचना जैसे सड़क एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट, मेट्रो इत्यादि में निवेश पर अधिक बल दिया। 1990 के दशक में प्रदेश में जहां 4 प्रतिशत के लगभग वृद्धि दर थी, 21 वी शताब्दी के प्रारंभ के वर्षों में बढ़कर 6 प्रतिशत हो गई। इसका मुख्य कारण था पूँजीगत व्यय में वृद्धि।
योगी सरकार ने राज्य में पूंजीगत व्यय को वर्तमान के 68 हजार करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1,13,000 करोड रुपए कर दिया है जो कि राज्य में समृद्धि को तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके बाद भी सरकार ने राजकोषीय समेकन पर ध्यान दिया है। राज्य देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर सामने आया है, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है, निर्यात बढ़ा है और अनेक महत्वपूर्ण बहुराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक पर में राज्य में निवेश करने के लिए आगे आई हैं। भविष्य में सरकार की नीतियों और इरादों को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक, कपड़ा और विनिर्माण इकाइयां राज्य में निश्चित ही बड़े पैमाने पर निवेश करने के लिए आएंगी।
उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए एक हब के रूप में विकसित हो रहा है, इसमें सॉफ्टवेयर, टेस्टिंग बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग भी सम्मिलित हैं। नोएडा आईटी क्लस्टर के क्षेत्र में काफी अग्रणी है। प्रदेश में आईटी और आईटीईएस के लिए 25 विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र हैं जबकि 40 आईटी और आईटीइएस पार्क है। नोयडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास अभी इलेक्ट्रॉनिक मेगा सिटी के लिए सरकार ने 700 एकड़ जमीन रिजर्व कर रखी है। हाल के वर्षों में राज्य द्वारा सॉफ्टवेयर निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
“एक जिला एक उत्पाद” योजना
मुख्यमंत्री के फ्लैगशिप प्रोजेक्ट ‘एक जिला, एक उत्पाद’ ने पिछले 3 वर्षों में पूरे राज्य से लगभग 8,0000 दस्त कारों का नामांकन किया है। वर्तमान में 11 हजार से अधिक उत्पाद अमेज़न पर उपलब्ध है और 50,000 से अधिक उत्पादों की ₹24 करोड़ से अधिक की बिक्री हुई है।
एक जिला एक उत्पाद पहल का उद्देश्य स्थानीय कला, क्राफ्ट और समुदायों के परंपरागत योग्यता को संरक्षित, विकसित और बढ़ावा देना है। इसमें प्रदेश के सभी जिलों से स्थानीय स्तर पर बनाए जाने वाले किसी एक उत्पाद को चिन्हित कर उसके उत्पादन को बढ़ावा देने, उसकी गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए कारीगरों को प्रशिक्षण दिया जाता है और साथ ही ऐसे कलाकारों और इकाइयों को सरकार अन्य प्रकार की भी सहायता उपलब्ध कराई जाती है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए कई मशहूर वैश्विक व राष्ट्रीय परामर्श फर्मों की भी मदद ली है, जिससे कि प्रत्येक जिले की डायग्नोस्टिक स्टडी रिपोर्ट तैयार की जा सके। इस योजना के तहत कारीगरों व्यापारियों और विनिर्माण कर्ताओं को अनेक प्रकार की सहायता दी जाती है। जैसे मार्जिन मनी स्कीम के तहत ओ डी ओ पी कारीगरों या इकाइयों को 20 लाख रुपए प्रति इकाई या कारीगर मार्जिन मनी सब्सिडी प्रदान की जाती है।
इस स्कीम की शुरुआत से अब तक लगभग 20,000 लोगों को इसके तहत रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है। स्किल डेवलपमेंट एंड टूल किट डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के अंतर्गत 41 हजार से अधिक ओडीओपी कारीगरों को प्रशिक्षित किया गया और टूलकिट दिया गया है। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में कॉमन फैसिलिटी सेंटर भी बनाया गया है, इसके तहत कुल प्रोजेक्ट लागत का 90प्रतिशत, अधिकतम ₹13.5 करोड़, वित्तीय सहायता दी जाती है। अब तक 35 केंद्रों को अनुमोदन मिल चुका है। अब तक 2,600 उद्यमियों से अधिक को ₹82 करोड़ का वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई है। इन उद्योगों में 28,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
ओडीओपी में अनेक स्टेकहोल्डर्स के साथ समझौता भी किया है जैसे क्वालिटी कंट्रोल आफ इंडिया, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई स्टॉक एक्सचेंज। उत्पादों की बिक्री के लिए फ्लिपकार्ट, अमेजॉन और इ बे से भी समझौता ज्ञापन हुआ है। ऑडी ओपी पहल से उत्तर प्रदेश के निर्यात में लगभग 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और उसने प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को और मजबूती प्रदान किया है।
23 जून 2021 को ऑनलाइन स्वरोजगार संगम कार्यक्रम के अवसर पर ओडीओपी सीएफसी योजना के पोर्टल का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में प्रदेश की 31,542 इकाइयों को 2505.58 करोड रुपए वितरित किया। साथ ही भदोही, मुरादाबाद, गाजियाबाद, मिर्जापुर, मैनपुरी, मऊ, आगरा, बिजनौर और मुजफ्फरनगर के 73.54 करोड़ रुपए के एक जिला एक उत्पाद सामान्य सुविधा केंद्र का शिलान्यास व पोर्टल का शुभारंभ किया।
कोविड19 की दूसरी लहर के बाद औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों को तेज करना योगी सरकार की प्राथमिकता में है। ऐसे में जबकि एमएसएमई इससे सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं एमएसएमई इकाइयों के लिए ऑनलाइन ऋण मेले का आयोजन से ना सिर्फ आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी बल्कि प्रदेश में रोजगार भी तेजी से बढ़ेगा। कोविड 19 की पहली लहर में भी बैंकों के साथ समन्वय करके इन इकाइयों को मजबूत करने के लिए बड़ी मात्रा में ऋण वितरित किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने 4 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी सेवाओं में नौकरी दी है जबकि एमएसएमई के माध्यम से डेढ़ करोड़ रोजगार दिए गए हैं। 22 जून को उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में वित्तीय वर्ष 2021 22 में औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विकास व अन्य कार्यों पर ₹1100 करोड़ के बजट को मंजूरी दी गई।
योगी सरकार के पिछले 4 वर्षों में 88000 करोड रुपए से अधिक निवेश राज्य में हुआ है किसी राज्य में रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं आगे यह राज्य जीडीपी को और बढ़ाएगा। एमएसएमई विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले 8 महीनों में फरवरी 2021 तक राज्य में 8.67 लाख नई इकाइयां स्थापित हुई है जिन्हें बैंकों द्वारा 30840 करोड रुपए का ऋण दिया गया है। बैंकों द्वारा कुल 2,12,000 करोड रुपए से अधिक का ऋण वितरित किया गया है जिससे डेढ़ करोड़ से अधिक रोजगार का सृजन हुआ है। परंतु अभी भी राज्य को विकास के अगले चरण में ले जाने के लिए ग्रामीण विकास, एमएसएमई और मानव संसाधन विकास पर सरकार को ध्यान देना होगा।
नल से जल
सभी ग्रामीण परिवारों में नल से जल पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 2021-22 के लिए 10870 करोड़ रूपया दिया है जो कि पिछले वित्त वर्ष की अपेक्षा 4 गुना अधिक है। जल मिशन के तहत2020-21 में प्रदेश को 3348 करोड़ गया प्राप्त हुआ था जिसमें से लगभग 30 प्रतिशत उपयोग ना होने के कारण राज्य सरकार को लौटाना पड़ा था।
इस योजना से न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में सभी के लिए पीने की पानी की व्यवस्था सुनिश्चित होगी बल्कि इसका स्थानीय अर्थव्यवस्था पर मजबूत धनात्मक प्रभाव पड़ेगा, इससे अतिरिक्त रोजगार सृजन होगा और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।
प्रदेश में 97,455 गांवों में 2.63 करोड़ परिवार हैं। इसमें से मात्र 11.3 प्रतिशत घरों में ही नल से पानी की आपूर्ति होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2024 तक देश के सभी ग्रामीण घरों में नल से जल सुनिश्चित करने की योजना है। प्रदेश में 2021 22 में 60,000 गांव में 78 लाख घरों को नल से जल उपलब्ध कराने की योजना है।
अनुकूल नीतियों से निवेश, रोजगार और निर्यात में वृद्धि!
अब तक के कार्यकाल में योगी सरकार ने लगभग 2 लाख करोड़ के निवेश प्राप्त किए हैं। ऐसा सरकार की निवेश अनुकूल नीतियों के कारण ही संभव हो सका, जिससे राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर की नामचीन कंपनियों ने राज्य में निवेश करने में रूचि दिखाया। 156 कंपनियों ने लगभग 50,000 करोड़ रुपए के विनिर्माण शुरू कर दिए हैं, जिससे राज्य में एक लाख से अधिक रोजगार सृजित हुए। प्रदेश के 46 जिलों में 215 उद्योगों ने उत्पादन भी शुरू कर दिया है, जिनमें 1,32,951 लोगों को रोजगार मिला है। इनमें कुल 51,710.14 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। इसके अलावा कुछ ही महीनों में 37,698.63 करोड़ रुपए का निवेश करके स्थापित किए जा रहे 132 उद्यमों में भी उत्पादन शुरू हो जाएगा, जिसमें 2,16,236 लोगों को रोजगार मिलेगा।
प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना के अनुसार चार वर्षों में 211 निवेश परियोजनाओं के जरिए 1,27,000 लोगों को रोजगार मिला है। इसके अतिरिक्त 122 प्रोजेक्ट पर भी कार्य चल रहा है जिससे 2,05,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। आगे सरकार 457 परियोजनाओं में 1,02,924 करोड रुपए के निवेश को मदद देगी। 2020 में हुए एयरो इंडिया शो में उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर में निवेश के लिए 13 कंपनियों की ओर से 4,500 करोड रुपए कर प्रस्ताव मिले थे। एक्सप्रेस वे के किनारे सरकार में 22000 एकड़ जमीन चिन्हित की है। यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे एमएसएमई पार्क, खिलौना पार्क, परिधान पार्क विकसित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त बल्क ड्रग एंड मेडिकल डिवाइस मैन्युफैक्चरिंग पार्क भी विकसित किया जाएगा।
जून के प्रथम सप्ताह में औद्योगिक विकास विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कोविड19 संकट के दौरान अप्रैल 2020 से मई 2021 तक लगभग 60,000 करोड रुपए के 96 निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। इनमें से 18 निवेशकों की ₹16,000 की निवेश परियोजनाओं के लिए सरकार के स्तर से भूमि आवंटन की कार्यवाही भी पूरी हो चुकी है, अन्य प्रस्तावों पर भी तेजी से कार्य हो रहा है। कई बड़ी कंपनियों ने अपनी इकाई लगाने में रूचि दिखाई है। हीरानंदानी ग्रुप 6000 करोड़ रुपए का निवेश कर डाटा सेंटर, ब्रिटानिया ग्रुप ने 300 करोड़ रुपए का निवेश से फूड प्रोसेसिंग यूनिट, माइक्रोसॉफ्ट ने 1800 करोड़ रुपए की लागत का साफ्टवेयर पार्क,डिक्सान कंपनी ने 200 करोड़ की लागत से इलेक्ट्रानिक्स मैनेफैक्चरिंग यूनिट ,अडानी समूह ने 2500 करोड़ रुपए की लागत से डाटा सेंटर, एसटी टेलेमीडिया ने 900 करोड़ रुपए से डाटा सेंटर, जर्मनी की वीएस कंपनी ने 300 करोड़ रुपए फुटवियर कंपनी तथा एबी मौरी ने 375 करोड़ रुपए निवेश से फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। इन सभी कंपनियों को भूमि मुहैया कराने का कार्य पूरा कर लिया गया है। निवेशकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इन्वेस्ट यूपी के स्तर पर विगत अप्रैल, 2020 से डेडिकेटेड हेल्पडेस्क संचालित की जा रही है। ये निवेशकों से संपर्क कर उनकी समस्याओं का समाधान कर रही है।
दक्षिण कोरिया की इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनी सैमसंग ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में मोबाइल डिस्प्ले का कारखाना चीन से हटाकर पिछले वर्ष लगाया था, जोकि अब पूरी तरह से तैयार हो गया है। सैमसंग द्वारा मोबाइल और डिस्प्ले उत्पादों के निर्माण के लिए लगभग 4825 करोड रुपए निवेश करने की संभावना है। सैमसंग ने बयान जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश के बेहतर औद्योगिक वातावरण और निवेश के अनुकूल नीतियों के कारण ही यह संभव हो पाया। निश्चित ही इससे उत्तर प्रदेश में और विनिर्माण कंपनियां निवेश करेंगी।
उत्तर प्रदेश में मिशन रोजगार अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2020 21 में विभिन्न विभागों की ओर से संचालित योजनाओं के माध्यम से 40.72 लाख श्रमिकों को रोजगार एवं स्वरोजगार मिला। श्रम एवं सेवायोजन विभाग के सेवायोजन पोर्टल पर 38.12 लाख बेरोजगार अभ्यर्थी और 37.84 लाख प्रवासी श्रमिक पंजीकृत हैं।
उत्तर प्रदेश से 2017-18 में 88,968 करोड रुपए का निर्यात किया गया जो कि बढ़कर 2018-19 में 1,14,000 करोड़ रुपए से ऊपर हो गया। कोविड-19 के कारण 2019-20 में यह लगभग 84,000 करोड रुपए रहा, जबकि अप्रैल 2020 से नवंबर 2020 के बीच में र प्रदेश से 75,000 करोड़ रुपए से अधिक का निर्यात किया गया। महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश देश का पांचवा सबसे बड़ा वस्तुओं का निर्यातक रहा है। चावल, दवाए, कारपेट, सिल्क, खाद, चीनी, खिलौने और मछली के निर्यात में प्रदेश प्रमुख रहा है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस नीति के अंतर्गत राज्य सरकार ने निर्यातकों को बड़ी छूटे दी थी। चंदौसी के काले चावल की विदेशों में बड़ी मांग है एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत भी नेपाल बांग्लादेश व अन्य दक्षिण एशियाई देशों से बड़े आर्डर मिले।
ऑक्सीजन उत्पादन को प्रोत्साहन
कोविड-19 की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी के कारण कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था। प्रदेश में 8 अक्टूबर 2020 को गाजियाबाद के मोदीनगर में राज्य के सबसे बड़े ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन हुआ था, इस प्लांट का शिलान्यास जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री ने किया था। यह रोजाना 150 मेडिकल टन तरल ऑक्सीजन उत्पादन करता है और 1000 टन इसकी भंडारण की क्षमता है। ऑक्सीजन उत्पादन को प्रोत्साहित करते हुए राज्य को मेडिकल और इण्डस्ट्रियल ऑक्सीजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मई 2021 में ‘उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2021’ लागू की गई। इस नीति के आकर्षक प्राविधानों के परिणामस्वरूप ऑक्सीजन उत्पादन से जुड़ी अनेक प्रतिष्ठित कम्पनियों ने प्रदेश में ऑक्सीजन संयंत्र की स्थापना में रुचि दिखायी है। राज्य में ऑक्सीजन के 416 प्लांट लगाए जाने हैं, जिसमें से 344 पर कार्य चल रहा है। 72 नए प्लांट शुरू भी हो गए हैं। कई बड़ी कंपनियों ने राज्य में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने में रूचि दिखाई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे इन कम्पनियों के शीर्ष प्रबन्धन से नियमित सम्पर्क में रहते हुए परियोजनाओं को स्थापित कराने के लिए हर सम्भव सहयोग प्रदान करें और राज्य में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए उद्यमियों को कम ब्याज पर लोन देने के लिए बैंक कोई समस्या ना खडी करें।
बहुत कुछ करना बाकी!
नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्य एसडीजी इंडिया रैंकिंग में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन पिछले वर्षों के मुकाबले सुधरा है 2019 में 56 अंक के मुकाबले 2020 में प्रदेश को कुल 60 अंक मिले अर्थात 5 अंकों का सुधार हुआ है। सतत विकास के लिए कुल 16 लक्ष्य तय किए गए हैं जिन्हें 2030 तक प्राप्त करना है इसमें से उत्तर प्रदेश ने सस्ती व स्वस्थ ऊर्जा का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण मानकों मैं प्रदेश का पिछड़ापन चिंताजनक है, जैसे गरीबी की समाप्ति में 44, भुखमरी की समाप्ति में 4, अच्छा स्वास्थ्य जीवन स्तर में 60, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में 51, लैंगिक समानता में 50, असमानता में कमी ने 41 और स्वच्छ पानी और स्वच्छता में 83 अंक हैं। निश्चित ही प्रदेश में सतत विकास के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। इतना स्पष्ट है कि राज्य में विकास को गति देने के लिए सरकार को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि विभिन्न परियोजनाओं के लिए संसाधनों की व्यवस्था करना काफी चुनौती भरा कार्य होगा। एक सकारात्मक पक्ष यह है कि इससे कोविड-19 भी राज्य के कर राजस्व में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि और लगभग सभी करो में उच्च उत्फुल्लता देखी गई है।
********